मैं था तो नहीं आवाज़, फिर भी कहता सुनता रहा हूँ, कभी सन्नाटे की फुसफुसाहट, कभी शोर म मैं था तो नहीं आवाज़, फिर भी कहता सुनता रहा हूँ, कभी सन्नाटे की फुसफुसाहट, ...
मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े होते जाते ह मैं देख नहीं सकता अपनी आत्मा के अंदर, या मिनट देखें जैसे-जैसे हम सब बूढ़े हो...
मैं कभी रुका नहीं मैं कभी रुका नहीं
यह सब जान लो आज मातृत्व का सम्मान हूँ तदबीर बदल सकती हूँ। यह सब जान लो आज मातृत्व का सम्मान हूँ तदबीर बदल सकती हूँ।
मैं झुकता नहीं, मैं रुकता नहीं, निश्चय कर जब भी निकला कहीं। मैं झुकता नहीं, मैं रुकता नहीं, निश्चय कर जब भी निकला कहीं।
बस मेरा नाम गाँव है। अब मैं गाँव नहीं हूँ। शहर का पिद्दी सा पिछलग्गू हूँ। बस मेरा नाम गाँव है। अब मैं गाँव नहीं हूँ। शहर का पिद्दी सा पिछलग्गू हूँ।